(कविता) “नमस्ते तू उसे कहना” !
कोरोना का कहर जब तक है सबसे दूर ही रहना ।
मिलाना हाथ कोई चाहे नमस्ते तू उसे कहना ।।
तू रहना बन्द कमरे में सभी बाहर का सुख तज कर ।
हमेशा धोना हाथों को लगा साबुन तू मल-मल कर ।
कठिन हो जीना जीवन फिर भी तू चुपचाप सब सहना ।।
कोरोना…………………………………………………………।।
संदेशा ‘लॉकडाउन’ का मिला हित में ही मानव के ।
तू अपने बन्द कमरे से कुचल दे फन इस दानव के ।
तू कहना मान मोदी का पड़े निज घर में ही रहना ।
कोरोना…………………………………………………….।।
बनाकर फासले रहना ही इक बेहतर तरीका है ।
सेनेटाइज़र लगे हों हाथ यह भी इक सलीका है ।
न करना भूल छोटी भी ना बहकावे में तुम बहना।
कोरोना………………………………………………………।।
लगाना मास्क चेहरे पर न इसमें चूक तुम करना ।
कोरोना के खिलाफत में बैठ निज घर में दे धरना ।
जब होवे बोरियत तो उठ के वन्दे मातरम् कहना ।
कोरोना का कहर जब तक है सबसे दूर ही रहना ।
मिलाना हाथ कोई चाहे नमस्ते तू उसे कहना ।।
कविः – डॉ. जनार्दन चतुर्वेदी
राजपूत नेवरी, भृगु आश्रम,
बलिया (उ. प्र.)