अपनी हार और जीत का लेआउट अगर हमें पहले से ही तैयार करना आता होता तो शायद ज़िंदगी के आखरी पड़ाव तक आते-आते अनुभवों की बिल्डिंग इतनी बार न गिरती और हर बार हम सपनों का एक नया आशियाना न बनाते ! अनुभव हमें बहुत कुछ सिखाते हैं, जबकि हमारे जीवन में कोई घटना हो जाने के बाद इसका नंबर आता है लेकिन फिर भी हम कोई भी घटना होने से पहले इसका अनुमान लगाने लग जाते हैं। किसी भी और कैसी भी परिस्थिती में ज्यादा से ज्यादा क्या हो जाएगा…हार या जीत……लेकिन इस हार या जीत में भी बहुत से रहस्य छिपे होते हैं….ये दोनों ही हमें जीवन की बारीकियों से रूबरू करवा जाते हैं… हार जाएंगे तो फिर क्या करेंगे ? और अगर जीत गए तो फिर आगे क्या ? जीत तो बहुत से लोग जाते हैं लेकिन बात तो तब बने जब हम हार भी जाएं और हार नहीं मानने की ज़िंद भी रखें तो और भी मज़ा है हार के बाद मिली जीत का…।

हमारी ज़िंदगी में हार और जीत की भी कई तरह की कैटेगिरीज़ हैं या यों कह लीजिए ज़िंदगी के सफर में कमाने-खाने, सुख-दुख, हंसी-खुशी और जीने-मरने के अलावा भी बहुत से ऐसे पैमाने हैं जिस पर हर कोई खरा नहीं उतर पाता। ये वो रोग है जो हमारें अंदर तक चिपके हुए हैं या फिर यों कह लीजिए जिन्हें हम छोड़ना ही नहीं चाहते….जिसकी चुभन चोट खाए सीने में हमें अच्छी लगने लग जाती हैं….अकेले में ये चुभन और भी तीखी हो जाती है मानों इसका नशा ऐसा कि बाकी सब नशे फीके से लगने लगते हैं, लेकिन इसका अंत क्या ? डिप्रेशन, अवसाद, तनाव, अकेलापन !

यहां बात मेरे उन दोस्तों की हो रही है जिन्होंने कभी प्रेम किया था, जो अभी भी प्रेम में हैं या हो सकता है जिनमें किसी से प्रेम करने की उम्मीद अभी बाकी है, या जिन्होंने प्यार किया…खूब किया…लेकिन फिर भी जिन्हें उनके चाहने वाले प्यार की कश्ती में अकेला छोड़कर चले गए, यहां तक कि अंदर से लहू, जिगर तक तो ठीक था लेकिन आत्मा तक चुराकर ले गए और पीछे छोड़ गए तो बस यादें…अगर ऐसी वाली फीलिंग आपके मन में भी है तो आज बात आप ही की हो रही है।
अब देखिए प्यार करने की कोई उम्र तो नहीं होती ये किसी भी उम्र में हो जाता है लेकिन जिनका प्यार परवान नहीं चढ़ता और अगर चढ़ भी जाए तो कोई यदि उन्हें बीच रास्ते में छोड़ जाए तो उनका क्या ? देखिए तस्वीर साफ है….वो आपका था ही नहीं….जो आपका था ही नहीं उसके लिए दुखी होने से कोई फायदा नहीं…वो अपनी नईं उड़ान कब का भर चुका…लेकिन आप आज भी उस एक मुट्ठी आसमान की ओर उसकी वापसी के लिए निहार रहे हैं….तो माफ कीजिएगा ये एक मुट्ठी आसमान, न तेरा है और न मेरा….ये सारा आसमान पूरा का पूरा एक ऐसा जहान हैं….जहां हर दूसरे मिनट कोई नएं पंखों की उड़ान भरकर अपनी आखों में नए सपने लिए आता है….और कब आपकी ज़िंदगी में एंट्री ले लेता है आपको पता भी नहीं चलता…। ये ज़रूरी नहीं कि किसी के चले जाने के बाद आप अपनी प्यार की हार को ज़िंदगी भर अपने साथ चिपकाए रोते रहें….फिर आपको छोड़कर जाने वाले का मकसद तो साफ हो गया न ? बात तो तब बने जब आप भी फिर से अपने सपनों की दुनियां को आबाद करें…अपना एक नया जहान बसाएं जहां ज़िंदगी के हरेक रंग आपकी ज़िंदगी को खुशियों के साथ रोशन कर दें, ये ज़रूरी नहीं कि अगली बार आपको फिर से ठोकर मिलेगी, हो सकता है अपने आप को एक बार फिर से मौका देने से आपकी ज़िंदगी में फिर से बहार आ जाए, देखिए किसी के चले जाने के बाद अपने आप को टॉर्चर करने, सज़ा देने, तनाव में आने या सूसाइड तक की नौबत तक पहुंचाने का कोई फायदा नहीं, आपके ऐसा करने से किसी का कुछ नहीं जाएगा…..बल्कि आप अपने परिवार को उम्र भर की सज़ा दे जाएंगे। हमेशा याद रखें ये ज़िंदगी हमें सिर्फ एक ही बार मिलती है उसी में हमें अपनी सारी खुशियां तराशनी हैं, ऐसा तो है नहीं कि अपने कुछ अधूरे काम हम अगले जन्म के लिए छोड़ देंगे, हमें जो कुछ भी करना है अपने इसी जन्म में करना है, इसलिए अपने आप को एक और मौका देकर तो देखिए।
इसलिए अपने दिल को समझाएं क्योंकि हमारी ज़िंदगी में जो कुछ भी हो रहा होता है उस पर हमारा न्यूनतम नियंत्रण होता है…। ऐसे में केवल यही समझें कि ईश्वर हमें वो नहीं देता जो हमें अच्छा लगता है बल्कि ईश्वर हमें वो देता है जो हमारे लिए अच्छा होता है…तो किसे चुनेंगे आप ?
तनाव और डिप्रेशन के विरुध हमारा एक छोटा सा प्रयास कितनों की ज़िंदगी बचा सकता है। इसलिए हमारे इस ब्लॉग को लाइक और शेयर ज़रूर करें। असल में जब हमारे पास कोई विकल्प नहीं होता सही मायनों में तब ही हमारे पास बहुत सी संभावनाएं होती हैं। बस ये बात हमेशा याद रखिएगा, इसी के साथ मुझे दीजिए इजाज़त…
धन्यवाद, आपकी दोस्त, मनुस्मृति लखोत्रा
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