Poetry Breakfast: 80 के दशक के एक ऐसे फनकार जिनकी रूहानी आवाज़ आज भी दिलों पर देती है दस्तकः मोहम्मद अज़ीज़ साहब

लेख सेक्शनः मोहम्मद रफी के बाद मोहम्मद अज़ीज एक ऐसे गायक थे जिन्हें गायकी में रफी साहब का वारिस माना जाने लगा। मोहम्मद अज़ीज़ का जन्म 1954 में पश्चिम बंगाल…

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Poetry Breakfast: “घुँघर वाली झेनू वाली झुन्नू का बाबा, किस्सों का कहानियों का गीतों का चाबा”: “पोटली बाबा की”

लेख सेक्शनः ये उन दिनों की बात है जिन दिनों देश में इकलौता टीवी चैनल दूरदर्शन हुआ करता था। ये 90 का दशक था, तब न ही तो केबल टीवी…

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Poetry Breakfast: हमारे हाथों में इक शक्ल चांद जैसी थीः बशीर बद्र

गज़लः- एक चेहरा साथ-साथ रहा जो मिला नहीं किसको तलाश करते रहे कुछ पता नहीं शिद्दत की धूप तेज़ हवाओं के बावजूद मैं शाख़ से गिरा हूँ नज़र से गिरा…

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Poetry Breakfast: शर्मा बंधुओं का ये भजन आज भी तरुवर की छाया जैसा लगता है !

1974 में आई फिल्म परिणय का एक भजन बेहद लोकप्रिय हुआ था, खैर, उस वक्त मैं तो नहीं थी लेकिन बचपन में पिता जी अक्सर टेपरिकॉर्डर में इस भजन को…

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Poetry Breakfast: इक कुड़ी जिदा नाम महोब्बत गुम हैः शिव कुमार बटालवी

आईए आज उस दशक की बात करें जब कविताएं आत्मा की गहराईयों से लिखी जाती थी। कविता का एक–एक लफ्ज़ शायर के लिए किसी इबारत से कम नहीं होता था।…

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अटल बिहारी वाजपेयीः उस रोज़ दिवाली होती है

दिवाली के इस मौके पर ‘अटल बिहारी वाजपेयी’ जी कविता को याद किए बिना कैसे रहा जा सकता है। पेश है दिवाली पर लिखी उनकी ये खूबसूरत कविताः -उस रोज़…

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चलो इस दफ़े दिवाली घर पे मनाते हैं, ‘बचपन वाली दिवाली’ : गुलज़ार

दिपावली के शुभ अवसर पर क्यों न गुलज़ार साहब की दिवाली पर लिखी एक कविता सुनी जाए ?   बचपन वाली दिवाली: गुलज़ार हफ्तों पहले से साफ़-सफाई में जुट जाते…

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अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए, कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गएः डॉ. राहत इंदौरी

ग़ज़ल तब और भी खूबसूरत हो जाती है जब उसे कहने वाला इशारों ही इशारों में ग़ज़ल की गहराई को आप तक पहुंचा दे। यहां डॉ. राहत इंदौरी का नाम…

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तो इस दिवाली पापा क्या तोहफा देंगे…!

मुझे आज भी याद है बचपन में दिवाली का कितना इंतज़ार रहता था मुझे और मेरे भाई को। असल में हर दिवाली पिता जी मुंहमांगी गिफ्ट्स जो लेकर दिया करते…

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क्योंकि सपना है अभी भी : धर्मवीर भारती

क्योंकि सपना है अभी भी इसलिए तलवार टूटी अश्व घायल कोहरे डूबी दिशाएं कौन दुश्मन, कौन अपने लोग, सब कुछ धुंध धूमिल किन्तु कायम युद्ध का संकल्प है अपना अभी…

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